मंगलवार, 11 जनवरी 2011

न बच्चे सुरक्षित, न महिलाएं-

मंगलवार, ११ जनवरी २०११

रायपुर दिनांक 11 जनवरी

न बच्चे सुरक्षित, न महिलाएं-गुण्डों की
नई पौध पुलिस से ज्यादा होशियार!
रितिक, रौशन, और सत्यजीत के बाद अब और न जाने कितने...?कौन देगा छत्तीसगढ़ के पालकों को गारंटी कि उनके बच्चे स्कूल या धर अथवा खेल के मैदान में सुरक्षित हैं। किसी को पैसे की जरूरत हो तो बच्चा पकड़ लाओं और खेल खलों फोन से जुए का-पैसा मिल गया तो ठीक वरना किसी गटर में अपने प्यारे बच्चे की सड़ी गली लाश ले जाओ..यह कैसी स्थिति बना दी गई है छत्तीसगढ़ में। कौन जिम्मेदार है, इसके लिये? संपूर्ण राज्य में अपराधियों ने एक तरह से अपना वर्चस्व कायम कर लिया है। जो अपराध राज्य बनने के पहले नहीं होते थे वे भी अब फल फू ल रहे हैं। महिलाएं बच्चे कोई सुरक्षित नहीं हैं। महिलाओं के गले से कभी भी चैन खीच ली जाती है तो कभी भी उन्हें कोई मजनू सड़क पर बेइज्जत कर देता है। छेड़छाड़ की घटनाओ से तंग युवतियों को अपनी जान तक गवानी पड़ी है। छत्तीसगढ़ पुलिस में ढेर सारी महिला पुलिस कर्मियों की नियुक्ति के बाद भी न महिलाएं सुरक्षित हैं और न ही बच्चे। राजधानी रायपुर, बिलासपुर,अंबिकापुर, रायगढ, कोरबा, भिलाई सब आपराधिक गतिविधियों के केन्द्र बन गये हैं। एक अपराध के बाद पुलिस की मीटिंग होती है। अफसर अपने छोटे अफसरों को उपदेश देते हैं मीटिंग खत्म होते ही दूसरा क्र ाइम जांच के लिये तैयार रहता है। अपराधियों की पकड़ के लिये पुलिस गली मोहल्ले में घूमकर अपराधियों को खोजने की जगह मैन रोड़ पर बे्रकर लगा आम लोगों की जेब को टटोलकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं। पुलिस व्यवस्था का ऐसा बुरा हाल इससे पहले कभी नहीं हुआ शायद यही कारण है कि शहरों की कालोनियों के आसपास ऊग आये नये गुण्डे और अन्य आपराधिक पौध की कोई जानकारी उनके पास नहीं है। पुलिस को यह भी नहीं पता कि आपराधिक गतिविधियों में लिप्त लोगों की आवक -जावक के कारण कई कालोनी के लोगो को दिन में भी अपने मैन गेट का ताला बंद रखना पड़ता है तथा महिलाएं घरों में कैद होकर रह जाती हैं। आपराधिक गतिविधियों के कारण लोगों का अपने बच्चों को जहां भारी सुरक्षा के बीच रखना पड़ रहा है वहीं घर की संपत्ति की सुरक्षा भी चिंता का कारण बनी हुई है। सबसे ज्यादा खतरा कालोनियों के आसपास की बस्तियों में पैदा हुए नये बच्चों से हो गया है जो किसी के नियंत्रण में नहीं हैं। सरकार का सस्ता अनाज खाकर ऐसे कतिपय लोग बच्चों को न स्कूल भेजते हैं और न उनकी बाहर की गतिविधियों पर नजर रखते हैं। छोटी छोटी चोरी की अधिकांश घटनाओं में इन्हीं का हाथ होता है जिसकी रिपोर्ट लिखाने भी कोई नहीं जाता चूंकि सब जानते हैं कि इससे कुछ होना जाना नहीं। बड़े किस्म के अपराध और धरेलू हिंसा की भी बाढ़ आई हुई है।
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एक दाढी ने क्या उड़ाया गवर्नर को,सारे दाढियों पर आई पाक में आफत!
रायपुर सोमवार दिनांक 12 जनवरी 2011

एक दाढी ने क्या उड़ाया गवर्नर को,सारे
दाढियों पर आई पाक में आफत!

दाढी वाला, मूछवाला, मोटू, लम्बू, थोंधवाला, टिग्गू, फेटे वाला,चेन्दुआ, टकलू,कालू, गोरू।यह कुछ उपमाएं हैं जो लोगो को उनके रूप रंग और व्यक्तित्व के आधार पर मिलती है। लोगों ने अपनी-अपनी सुविधा के अनुसार लोगों को यह उपनाम दे रखे हैं। ऐसी उपमाएं सिर्फ हमारे देश मे ही नहीं पडौस के देशों और यहां तक कि अंगे्रजों के देश में भी दी जाती हैं। इन उपमाओं को लोग उनके असली नाम की अपेक्षा जल्दी समझ जाते हैं। यह जिक्र इसलिये आया कि हाल ही पाकिस्तान में पंजाब सूबे के गवर्नर रहे सलमान तासीर की हत्या कर दी गई हत्या जिसने की वह एक सुरक्षा कर्मी था तथा दाढ़ी रखे हुए था। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में इस हत्याकांड के बाद सुरक्षा के लिहाज से माहौल तेज़ी से बदल रहा है वहां सरकार ने अपनी सुरक्षा नीति में बड़ा बदलाव करते हुए महत्वपूर्ण लोगों की सुरक्षा में तैनात 10 दाढ़ी वाले सुरक्षा कर्मियों को ड्यूटी से हटा दिया है। पंजाब सरकार ने नए सिरे से एलीट फोर्स के जवानों की जांच शुरू की है ताकि आगे तासीर की हत्या जैसी कोई वारदात न हो। पाकिस्तान में वीआईपी सेक्योरिटी के लिए गठित की गई एलीट फोर्स की एक विशेष जवानों और अधिकारियों की जांच कर रही है ताकि उनकी गतिविधियों और धार्मिक रूझान के बारे में पता लगाया जा सके। तासीर की हत्या के बाद शीर्ष नेताओं खासकर उदारवादी नेताओं को खतरा महसूस हो रहा है। कुछ दिनों पहले तासीर के अंतिम संस्कार (सुपुर्द-ए-खाक) में पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने इसी डर से सुपुर्द ए खाख कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया था। पाकिस्तानी हुकमरानों को दाढ़ी बढायें हुए सुरक्षा कर्मियों से खतरा महसूस हो रहा है। यह दिलचस्प है कि पाकिस्तान में अधिकांश सुरक्षा कर्मी ढाढ़ी वाले हैं वहां किस किस को हटायेंगें?हमारे देश में वैसे दाढ़ी का कोई रोना नहीं हैं यह रोना है थोधं वाले अफसरों व जवानों का। पुलिस फोर्स में थोंदू अफसरों व कर्मचारियों की संख्या बढ़ रही है। कई टिग्गू व लम्बू भी घुस गये हैं। वैसे इनमें लम्बू से कोई परेशानी नहीं है लेकिन ठिगने या टिग्गू कहीं नजर नहीं आते। भारतीय वायु सेवा में तो एयर होस्टेस अगर मोटी होने लगी तो उसकी छुट्टी कर दी जाती है। हाल ही एक ऐसी मोटी एयरहोस्टेस ने अपने आपको निकाले जाने के बाद मुकदमा लड़ा और जीतकर वापस आई। दूसरा बड़ा भेद शरीर के रंग का है।काला है तो कल्लू और गोरा हुआ तो गोरूआ जैसे उपनाम देकर लोगों को अन्य समुदाया से दूर करने का प्रयास किया जाता है। जहां तक पाक में दाढ़ी वाले पुलिस कर्मियों का सवाल है उनके सामने तो तासीर हत्याकांड के बाद आफत ही आन पड़ी है। बिना दाढ़ी रखे लोगो पर पाक वीआईपी मेहरबान है उनसे उनको कोई खतरा नजर नहीं आता। पाक के हिसाब से हम चलते तो शायद हमारे देश में ऐसा कितना ही झमेला हो जाता जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गवर्नर की इसी हफ्ते मंगलवार को उनके ही सुरक्षाकर्मी ने हत्या कर दी थी। सुरक्षाकर्मी मुमताज हुसैन कादरी को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया। हमलावर ने गवर्नर सलमान तासीर के काफिले पर अंधाधुंध फायरिंग की, जिसमें उनकी मौत हो गई थी। कादरी पाकिस्तान में एलीट कमांडो फोर्स का जवान था। पाकिस्तान में कई उदारवादी नेताओं की हत्या की जा चुकी है। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो, पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर, बलूचिस्तान के नेता नवाब अकबर बुगती जैसे कई लोग शामिल हैं।
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शुक्रवार, ७ जनवरी २०११
भ्रष्टाचार में अर्जित संपत्ति
रायपुर दिनांक 8 जनवरी 2011

भ्रष्टाचार में अर्जित संपत्ति अब जनता के खजाने
में, बिहार में कानून, केन्द्र भी होगा सख्त!
भ्रष्टाचार के खिलाफ लिखे गये मैरे प्राय: सभी आलेख में मैं शुरू से ही यह सुझाव देता आया हूं कि पहले उपाय के तौर पर सरकार को भ्रष्ट लोगों की संपत्ति जप्त कर लेनी चाहिये, लगता है जनता की तरफ से उठी मैरी आवाज सरकार तक पहुंच गई है और इस सुझाव पर इस वर्ष पूरे देश में अमल हो जाये तो आश्चर्य नहीं। बिहार सरकार ने सन् 2010 से इसपर अमल शुरू कर दिया है। विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत के बाद तो नितीश कुमार की सरकार इस मामले में और कड़क हो जाये तो आश्चर्य नहीं। भ्रष्टाचार से सारा देश पीडि़त है और अगर इसपर नियंत्रण की शुरू आत बिहार से हो जाये तो इसे एक अच्छा संकेत ही माना जायेगा। केन्द्र सरकार इस साल के शुरू होने के साथ भ्रष्टाचार पर नियंत्रण करने के लिये एक अध्यादेश की बात कर रही है लेकिन अध्यादेश लाने में समय लग सकता है। भ्रष्ट नौकरशाहों और राजनेताओं की भ्रष्टाचार से बनाई गई संपत्ति को जप्त करना सर्वाधिक उचित उपाय है बिहार में इसकी सफलता से यह साल भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लडऩे में नई उम्मीदें जगाती है। केन्द्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने भी मनी लांड्रिगं- [अवैध संपत्ती को वैध बनाना] रोकने के कानून के तहत काली कमाई से बनाई गई संपत्ति को जब्त करना शुरू कर दिया है। मनी लांड्रिगं कानून के शिकार झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोंडा और उनके पांच अन्य साथी हुए हैं। सन् 2009 में उनकी अवैध कमाई की संपत्ति को जप्त कर ली गई। इसी वर्ष किडऩी बेचकर अवैध कमाई करने वाले डाक्टर अमित कुमार को भी मनी लांड्रिगं कानून के तहत लाया गया और उनकी संपत्ति जप्त कर ली गई। डाक्टर की तो आस्ट्रेलिया की संपत्ति भी जप्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।आजादी के बाद से अब तक भ्रष्टाचार के मामले में कई लोग पकड़े गये, उनके पास अवैध संपत्ति है इसका भी पता चला, उनमें से कइयों को सजा भी हुई किंतु किसी की संपत्ति जप्त होने के बहुत कम मामले हुए। सन् 2010 में मनी लांड्रिगं के कम से कम 1500 मामले दर्ज हुए हैं। केन्द्र सरकार अगर अध्यादेश के माध्यम से यह कड़ा कानून बनाती है तो बहुत हद तक भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सकेगा। भ्रष्टाचारियों की संपत्ति जप्त करने के साथ साथ कानून में यह प्रावधान भी किया जाना चाहिये कि भ्रष्टाचारी भविष्य में किसी सरकारी अर्धसराकरी या प्रायवेट नौकरी में सेवा न दे सकें। उसे तो मत देने के अधिकार से भी वंचित किया जाना चाहिये। हमारे कानून में भ्रष्टाचारी को मौत की सजा देेने का प्रावधान नहीं है लेकिन लोकतांत्रिक तरीके से ऐसे व्यक्ति को जेल के सीकचों में बंद किया जा सकता है। केन्द्र द्वारा भ्रष्टाचार से निपटने जो अध्यादेश लाने वाला है उसमें किन नियम कानून का उल्लेख होगा यह तो अभी पता नहीं चला लेकिन यह तो तय दिख रहा है कि यह कानून भी बिहार के कानून की तर्ज होगा। अगर ऐसा हुआ तो देश में भ्रष्टाचार पर बहुत हद तक अंकुश लग जायेगा लेकिन सरकार को निष्पक्ष होकर उन सभी राजनेतााओं, नौकरशाहों और अन्य अपराध में लिप्त लोगों पर हाथ डालना चाहिये जो देश को खोखला करने में लगे हुए हैं।
प्रस्तुतकर्ता majoseph पर ६:४५ पूर्वाह्न 0 टिप्पणियाँ
खूब ठंड, खूब बारिश, खूब गर्मी
रायपुर बुधवार दिनांक 5 जनवरी 2011

खूब ठंड, खूब बारिश, खूब गर्मी
अलग अलग रूपों में प्रकृति!
पारे का उतार चढ़ाव मौसम विज्ञानियों और पर्यावरणविदों दोनों को आश्चर्य चकित कर रहा है। विश्व में बरसात के बाद इस मौसम में इतनी ठंड पडी है कि बर्फ की चादर से सारा इलाका ढक गया। ठण्ड से देश व विदेश में कई लोगों की मृत्यु भी हुई है। गर्मी के दिनों में भी इसका उलटा था गर्मी इतनी पड़ी कि लोगों का जीना मुश्किल हो गया। पारा 53 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच गया। पिछले वर्ष बारिश ने भी ऐसा कहर ढाया कि दुनिया के कई देशों में जनधन की भारी बर्बादी हुई। कहा यही जाता है कि गर्मी ज्यादा पड़ी तो बारिश अच्छी होगी और बारिश अच्छी होगी तो ठंड भी ज्यादा पड़ेगी। बारिश के मौमस के बाद आई इस बार की ठंड ने शुरू से भारत के उत्तरी राज्यों में कहर ढाना शुरू कर दिया था। देश का उत्तरी भाग अब भी सिकुड़ रहा है लेकिन दक्षिण में इस मौसम में भी इतनी गर्मी पड़ रही है कि लोगों को बदन से कपड़े उतारने पड़ रहे हैं। एक ही देश में मौसम की दो परिस्थितियां -यह कोई नई बात नहीं है,गर्मी के मौसम में भी ऐसा ही होता है जब देश के कई इलाकों में भारी बारिश होती है। मौसम वैज्ञानिक इन बदलावों पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं लेकिन प्रकृति के रहस्यों के आगे अब तक हमारा वैज्ञानिक तंत्र बौना है। देश में जहां एक तरफ ठंड है तो दूसरी तरफ देश के अंदर मौजूद हमारे इस छोटे से राज्य छत्तीसगढ़ में मौसम की दोगली परिस्थितियां विद्यमान है यहां एक तरफ बर्फ की चादर बिछी हुई है तथा तापमान शून्य डिग्री से नीचे चला गया है तो कुछ इलाको में उतनी ज्यादा ठण्ड और बर्फ जमने जैसी स्थिति नहीं है। अगर पिछले साल से अब तक का आंकलन करें तो जहां भीषण गर्मी ने लोगो को हर दृृष्टि से हिलाकर रख दिया वहीं जब बारिश हुई तो छत्तीसगढ़ के नदी, नाले, बांध सभी लबालब हो गये। खेतों में खड़ी फसल को भी नुकसान हुआ। भारी और अच्छी बारिश का ही परिणाम है कि इस बार पिछले कई वर्षाो के मुकाबले अच्छी ठंड पड़ी। छत्तीसगढ का प्राय: हर क्षेत्र इस समय अच्छी ठण्ड से सिकुड़ रहा है। मैनपाठ में जहां पारा शून्य से नीचे चला गया है तो अंबिकाुपर सहित कई क्षेत्रों में शीतलहर से लोग ठिठुर रहे हैं। सरगुजा के मैनपाट में पूरी पहाड़ी जहां बर्फ की चादर से बिछी नजर आई वहीं चिल्फी घाटी में भी जगह जगह सफेदी सी छा गई है। सरगुजा शहर का न्यूनतम तापमान जब 2.7 डिग्री हो सकता है तो अंदाज लगाया जा सकता है कि आसपास के पहाड़ी क्षे9ों की क्या स्थिति होगी। जशपुर मे तापमान 2.0 तक पहुंच गया। पूरे देश के उत्तरी हिस्सों की ओर एक नजर डाले तो कश्मीर, पंजाब,हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश में शीतलहर से लोग ठिठ़ुर रहे हैं वहीं जम्मू में बर्फबारी हो रही है। प्रकृति पर अध्ययन करने वालों का निष्र्कर्ष भले ही जो निकले मगर इस परिवर्तन के लिये बहुत हद तक हरियाली जिम्मेदार हैं जहां जहां हरियाली है वहां मौसम खुशनुमा है और जहां वन व पेउ़ काट दिये गये हैं वहां प्रकृति अपने वास्तविक रूप से अलग हटती जा रही है। पर्यावरण पर अब विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
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छत्तीसगढ़ के शहरों में चोर-पुलिस का हाईटेक ड्रामा, पिस रहे हैं लोग!
रायपुर दिनांक 7 जनवरी 2011

छत्तीसगढ़ के शहरों में चोर-पुलिस
का हाईटेक ड्रामा, पिस रहे हैं लोग!
लकड़ी चोर को चौकीदार ने चोरी करने से ललकारा तो उसने उसका हाथ ही काट डाला, यह घटना हुई कोरिया के बंैकुठपुर में। राजधानी रायपुर में एक चोर का साहस देखिये कि वह पूर्व पुलिसवाले के घर ही चोरी करने पहुंच गया। एक अन्य मामला आमानाका थानान्तर्गत पार्थिवी पैसिफिक और मारूती इनक्लेव कालोनी में हुआ जहां चोर या डकैत जो भी हो, विरोध करने पर चौकीदार को बंधक बना लिया। कालोनी वालों को तो छोडिय़े पुलिस वालों से ही भिड़ गये चोर। उन्हें पत्थर मारकर दौड़ाया। कलेक्टर ने एक चोर को जिला बदर किया है जिसपर चोरी के दस मामले हैं। ऐसे कितने ही चोर जगह जगह उत्पात मचाये हुए हैं। राजधानी रायपुर सहित पूरे छत्तीसगढ़ में चोरी अब एक व्यवसाय बनता जा रहा है। जिसमें बच्चों से लेकर युवा और अधेड़ तक शमिल हो गये हैं। जो पकड़ा गया वह चोर वरना ऐसे लोग अपना काम धडल्ले से किसी के भी घर को अपना निशाना बनाकर कर रहे हैं। पुलिस चोरों के इस बदलते रूख पर हाथ पर हाथ धरे बैठने के सिवा कुछ नहीं कर पा रही है। एक गिरोह नेस्तनाबूत हो जाता है तो उसकी तस्वीर पुलिसवालों के साथ फोटो सहित छप जाता है वरना चोर अपना काम कर रहे हैं। पुलिस ने चोरी के मामले में अपने हाथ खड़े कर दिये हैं। थक हारकर वह अब मोहल्ले वालों पर चोरी व अन्य अपराध रोकने की जिम्मेदारी थोपने के प्रयास में हैं। कुछ थाना क्षेत्रो में वहां के लोगों को लेकर बैठके भी हुई हैं। चोरी पकडऩे का काम पुलिस से ज्यादा आम लोग ज्यादा अच्छे से कर सकते हैं बशर्ते वे चौकस रहे किंतु आवेश में आकर लोग चोर की इतनी पिटाई कर देते हैं कि उसका दम ही निकल जाता है फिर शुरू होता है पुलिस का नया नाटक जिसमें चोर को पीटने वाले पिसते हैं। जब ऐसी स्थिति आती है तो नागरिक इस कार्य को स्वंय करने की जगह पुलिस के पाले में फेक देते हैं। आज की स्थिति यह है कि चोर अपना काम कर रहे हैं और पुलिस अपना। दोनों के कार्य करने के तरीके में इतना अंतर है कि चोर व अन्य अपराधी पुलिस से आगे निकल गये। चोरों के डर के मारे कोई भी अपना घर थोड़ी देर के लिये भी सूना छोड़कर नहीं जा सकता। चोरों को यह मालूम रहता है कि किसके घर में कितना माल मिलेगा। चोरी करने वाले घरों मेंं घुसते हैं और उनकी नजर घर पर रखे सामानों को छोड़कर नगदी और सोने, चांदी पर रहती है। चोरों में बड़े युवा चोरों के अलावा कुछ बच्चे भी शामिल हैं जो खुला दरवााजा देखकर आसानी से घुस जाते हैं और जो हाथ में मिला लेकर भाग जाते हैं। बड़ी चोरी हुई तो लोग पुलिस में रिपेार्ट दर्ज करा देते हैं मगर छोटी चोरी में लोग पुलिस के पास इसलिये रिपोर्ट लिखाने नहीं जाते क्योंकि वे जानते हैं कि इसका कोई संज्ञान पुलिसवाले लेेने वाले नहीं। चोरी व अपराध की अन्य वारदातों के परिपे्रक्ष्य में पुलिस का जो दबाव है वह चौक-चौराहों तक ही सीमित होकर रह गया है। घटनाएं अक्सर कालोनियों में और प्रमुख मार्ग में रात को सुनसान पड़ी दुकानों में होती हैं जहां चोर आसानी से अपना काम करके निकल जाते हैं। चोर कोई बाहरी दुनिया से आया व्यक्ति नहीं होता। समाज के भीतर ही वह मौजूद है पुलिस केकई लोग इन्हें जानते व पहचानते हैं जब तक यह मित्रता कायम रहेगी चोरी पर अंकुश नहीं लग सकता।
प्रस्तुतकर्ता majoseph पर ६:३१ पूर्वाह्न 0 टिप्पणियाँ
शनिवार, १ जनवरी २०११
आरूषी-हेमराज हत्याकांड-सीबीआई क्यों पीछे हटी-आखिर हत्यारा कौन?
रायपुर शनिवार दिनांक 1 जनवरी 2011

आरूषी-हेमराज हत्याकांड-सीबीआई
क्यों पीछे हटी-आखिर हत्यारा कौन?
चार दीवारी के भीतर चार लोग, इसमें से दो की हत्या, एक मरने वाला घर का नौकर-दूसरा घर की बेटी। कौन हो सकता है हत्यारा? नोएड़ा का आरूषी हेमराज हत्याकांड दो साल से इसी सवाल पर उलझा हुआ है। पहले लोकल पुलिस फिर सीआईडी और बाद में देश की सबसे बड़ी व अधिकार प्राप्त गुप्तचर एजेंसी -'सीबीआइर्Ó। कभी घर के नौकर पर संदेह तो कभी बेटी के बाप पर तो कभी कंपाउडंर और दूसरे के घरों में काम करने वाले नौकरों पर! इन संंदेहों के आधार पर सीबीआई ने पूछताछ के नाम पर कई लोगों को हिरासत में लिया, नारकोटिक्स टेस्ट से गुजारा और हत्या का आरोपी बनाकर जेल में भी ठूस दिया किंतु नतीजा यही निकला कि इनमें से कोई नहीं। अगर इनमें से कोई नहीं तो हत्या किसने की? सीबीआई ने सबूत नहीं मिलने की बात कहते हुए इस हत्याकांड के खुलासे पर घुटने टेक दिये। सीबीआई इस मामले में आगे जांच नहीं करना चाहती। ताजा घटनाक्रम के अनुसार देशभर में सीबीआई के इस कदम की छीछालदर होने के बाद विधिमंत्री वीरप्पा मोइली ने सीबीआई चीफ को बुलाकर जांच जारी रखने की बात कही है। सीबीआई की अब क्या भूमिका होगी इसका खुलासा अभी नहीं हुआ है लेकिन हमारे देश की इस सबसे बड़ी जांच एजेंसी की मजबूरी का यह पहला मौका नहीं है। इससे पहले जसिका लाल हत्याकांड में भी सीबीआई की भूमिका कुछ इसी तरह की थी जिसमें बाद में अपराधी को पकड़कर कोर्ट में पेश कर उसे सजा दी गई। रूचिका गिरहोत्रा हत्याकांड में भी सीबीआई ने हाथ खड़े कर दिये थे फिर निठारी में कई बच्चों की हत्या मामले में नौकर सुरेन्द्र कोली के मत्थे सारा दोष मढकर मोनिन्दर सिंह पंढेर को पतली गली से लगभग बाहर कर दिया गया। आरूषी-हेमलाल हत्याकांड मामला यद्यपि अब खत्म करने के लिये अदालत में पहुंच गया है किंतु सीबीआई की नोट शीट में जो तथ्य उजागर हुए हैं वह आरूषी के पिता राजेश तलवार और उनकी पत्नी नूपर तलवार की और केन्दित हो रहे हैं जो यह बता रहे है कि राजेश तलवार ने आरूषी के पोस्टमार्टम रिपोर्ट को प्रभावित किया। यह हत्याकांड शुरू से ही हाईप्रोफ ाइल परिवार का होने से दो साल तक सिवाय 'नाटकÓ के हकीकत कभी सामने नहीं आई। आख्रिर इस पूरे मामले में हत्यारा कौन है? घर के भीतर हुई हत्या में आरोपी भी घर का ही हो सकता है, लोकल पुलिस ने यह साबित करने के लिये आरूषी के पिता को गिरफतार कर जेल भेजा और रिहा कर दिया। आज की स्थिति में जब सीबीआई ने सच्चाई जानने के मामले में घुटने टेक दिये हैं तो यह अब दिलचस्प बन पडा है कि आखिर हत्यारा कौन है? वह इस पूरे जांच में या तो जांच एजेङ्क्षसयों के साथ मिलकर उन्हें गुमराह करता जा रहा है या फिर उसकी पहुंच इतनी ज्यादा है कि उसे सीकचों के पीछे भेजने में कहीं न कहीं से भारी दबाव पड़ रहा है-अगर दबाव डाला जा रहा है तो दबाव डालने वाला कौन है? क्या यही कारण तो नहीं है कि सीबीआई ने गुस्से में आकर इस मामले में कुछ करने से ही हाथ खीच लिया है? सीबीआई का यह निर्णय भले ही उसकी कोई ब्यूह रचना हो या वास्तविक निर्णय इससे देश में इस एजेंसी पर विश्वास करने वाले करोड़ों लोगों को आघात पहुंचा है। देश में होने वाले अधिकांश बड़े अपराधों में चाहे वह राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक या आपराधिक इनमे लोग निष्पक्ष जांच के लिये केन्द्रीय जांच ब्यूरों-सीबी आई की ही मांग करते हैं। सीबीआई के वर्तमान निर्णय के बाद उसकी निष्पक्षता, उसकी कार्यक्षमता तथा अन्य अनेक मामलों मे सवाल उठना स्वाभाविक है किंतु अगर विधि मंत्री इस मामले की जांच जारी रखने का आदेश देते हैं तो सीबीआई को इसे एक चुनौती के रूप में स्वीकार कर निष्पक्ष ईमानदार व तेज तर्रार अधिकारियों की मदद से संपूर्ण मामले का खुलासा करना चाहिये। यह सीबीआई का अपनी साख पुन: बनाये रखने के लिये भी जरूरी है।
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कैसे बीत गया 2010...?
रायपुर, शनिवार दिनांक 1 जनवरी 2011

कैसे बीत गया 2010...? भूले दुर्दिन को,
और मनायें नये साल का जश्न...!
आज जब आपके हाथ में अखबार होगा नया साल लग चुका होगा। आप सभी को नये साल की शुभकामनाओं के साथ बीते साल के दुस्वप्रों को भूलकर आगे बढऩे की ताकत देेने की प्रार्थना के साथ हम पुराने साल के घटनाक्रमों का स्मरण करें तो शायद बीता साल वास्तव में इस सदी का सबसे ज्यादा घटनाक्रम वाला साल रहेगा जहां भारतीय संसद घपले-घोटालों, भ्रष्टाचार से गूंजता रहा और एक के बाद एक हादसों दुर्घटनाओं ने देश को दहला दिया। उपलब्धियां भी कम नहीं रही। बीता साल क्रिकेट के क्षेत्र में सचिन तेन्दुलकर और बेडमिंटन के क्षेत्र में सायना नेहवाल का रहा। देश ने खेल के क्षेत्र में विश्व में नाम कमाया। कामनवेल्थ गैम्स ने जहां भारत का नाम रौशन किया वहीं इसके आयोजन में हुए घपले घोटालों ने दाग भी लगाया। विदशों से संबन्ध बनाये रखने के मामले में काफी प्रगति हुई। भारत को सुरक्षा परिषद् मे सदस्यता तो प्राप्त हुई लेकिन स्थाई सदस्यता का ख्वाब अब भी बना हुआ है। साल की शुरूआत रेल हादसों से हुई। उत्तर प्रद्रेश में कोहरे की वजह से कम से छै रेल दुर्घटनाएं हुई जिसमें कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। साल के दूसरे महीने में की जर्मन बैकरी में आंतकी हमले ने देश को चौका दिया यहां कम से कम सात्रह लोग मारे गये और साठ लोग जख्मी हो गये। बीते वर्ष में भारत ने परमाणु मामले में काफी प्रगति की । भारत का रूस,फ्रांस सहित कई देशों से परमाणु रियेक्टर और अन्य कार्यक्रमों के लिये समझाौता हुआ। अमरीका के राष्ट्रपति ओबामा की यात्रा इस बार जहां महत्वपूणर्र््ा रही वहीं रूस,फ्रांस,जापान, ब्रिटेन, चीन जैसे देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने भारत की यात्रा की। अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत को सफलताा मिली तो विफलता भी हाथ लगी। कामनवेल्थ गैम्स का आयोजन और उसमें महिला खिलाडिय़ों के ज्यादा से ज्यादा गोल्ड मेडल ने देश को गौरवान्वित किया तो भोपाल गैस कांड के फैसले में आठ लोग दोषी पाये गये। बीते वर्ष जून की गर्मी पिछले सारे रिकार्ड तोड़ नया कीर्तिमान 53 डिग्री सेंटीग्रेड़ का बनाया। गर्मी कई लोगों को अपने साथ लेकर चली गई। अभूतपूर्व पानी के संकट ने छत्तीसगढ़ सहित देश के कई भागों में विषम स्थिति पैदा कर दी। इसी दौरान महाराष्ट्र में हुई भीषण वर्षा से 46 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। मुम्बई हमले के एक मात्र जीवित बचे पाकिस्तानी अजमल कसाब को फांसी पर लटकाने का आदेश हुआ। सरकार ने बीते साल जहां राष्ट्रीय परिचय योजना की शुरूआत की वहीं छै से चौदह साल के बच्चों के लिये अनिवार्य स्क्ूली शिक्षा कानून बनाया। ससंद में स्पेक्ट्रम घोटाला गूंजा तो महाराष्ट्र में आदर्श सहकारी भूमि घोटाले ने मुख्यमंत्री अशोक चौहान की नौकरी छीन ली और पृथ्वीराज चौहान को नई नौकरी दी। राष्ट्रमंडल खेलों में हुए घोटाले व भ्रष्टाचार ने देश को विश्व के सामने मुंह दिखाने के काबिल नहीं छोड़ा। विश्व में जहां भारत शकितशाली राष्ट्रों में तीसरे नम्बर का बना तो रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मामले में नबंर वन बन गया। मंहगाई ने सारे हदें पार कर दी। नक्सलवादियों के कहर से सारा देश हलाकान रहा। बस्तर में टावर गिराने से कई दिनों तक बिजली ठप्प रही तो दंतेवाड़ाा, बीजापुर, नारायणपुर में एक तरह से नक्सलियों का राज रहा जहां सीआरपीएफ के जवानों व नागरिकों की एक के बाद एक सामूहिक हत्याएं होती रही। नक्सलियों ने यात्रियों व जवानों से भरी एक बस को भी आग के हवाले किया। कई निर्दोष लोगों को भी मार डाला गया। मिदनापुर में ज्ञानेश्वारी एक्सपे्रस को पटरी से उतारकर कई लोगो की हत्या कर दी गई। इससे हावड़ा मुम्बई रेल सेवा आज भी प्रभावित है। नक्सलियों का साथ देने के लिये विनायक सेन, नारायण सान्याल और पियूष गुहा को देशद्रोही करार कर आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। मंगलोर में हवाई जहाज दुर्घटना में करीब 158 लोग मारे गये। तूफान लैला ने दक्षिण में कहर ढाया तो पूर्वी भारत में तूफान ने तबाही मचाई।आ और भी बहुत कुछ हुआ लेकिन अब उन्हें याद करने की जगह हमें खुशी मनाना है नये वर्ष के आगमन की..कामना है ढेरों खुशियां आपके जीवन को और खुशहाल बनायें
प्रस्तुतकर्ता majoseph पर ४:१५ पूर्वाह्न 0 टिप्पणियाँ
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